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गिलोय को आयुर्वेद में अमृत की संज्ञा दी गई है। गिलोय रस में रसायन गुण विद्यमान है। गिलोय सभी प्रकार के ज्वर, श्वास रोग, दमा आमवात, पांडू रोगों में लाभकारी है। त्रिदोषनाशक (वात, पित्त, कफ) चर्म रोग, विशम ज्वर सभी दोषों को नष्ट करती है। यह शरीर में उपस्थित अशुद्धियों को शरीर से बाहर निकाल कर शरीर को निरोगी करने में सहायक है।
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